"बारिश का मौसम,
सा जीवन,
भीगी जमीन सी ,
इसकी राहें,
सावन सा पंकिला ,
मुश्किल, उलझन ,
जो ना संभले ,
इसकी राह में ,
उनके कदम ,
मंजिल से पहले ही,
लड़खड़ा कर,
फिसल जाते हैं. "
"rajni"
मंगलवार, जुलाई 13, 2010
बारिश का मौसम, सा जीवन,
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5 comments:
जीवन की फ़िसलन भरी राहों में मजबूती से ठोस कदम जमाकर रखना जरुरी है।
अच्छी कविता
han rajni ji bahut hi atulya, tulna ki hai is jivan ki..........
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
रजनी जी आप ने बहुत ही खूबसूरती से जिंदगी का नक्शा खीचा है और सभी को सावधान भी किया है...:
जो ना संभले ,
इसकी राह में ,
उनके कदम ,
मंजिल से पहले ही,
लड़खड़ा कर,
फिसल जाते हैं
बहुत खूब...लिखते रहिये...समाज को आपकी और आपकी रचनायों की ज़रुरत है....!
aapsabhi ko mera hardik naman
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