शनिवार, फ़रवरी 13, 2010

और जो बिखर जाए , उसका कोई वजूद नहीं होता

ये पंक्तियाँ मनुष्य जीवन में काफी मायने रखती है, मैंने इसे अनुभव पर ही लिखा है,आशा है आपसब को पसंद आये.....
टूटा हुआ इंसान ,
टुकड़ों में जीता तो है,
पर टुकड़ों की तरह,
उसे टूटने के बाद जोड़ा जाए,
तो वो जी उठता है,
अगर जोड़ने के बाद फिर तोड़ दो,
तो वो जीता नहीं,
चूर हो जाता है,
इसीलिए ,
कभी भी,
किसी टुकड़े में जी रहे इंसान को,
मत जोड़ना,
अगर जोड़ने की जरूरत भी की ,
तो उसे फिर चूर मत होने देना,
क्योंकि,
चूर का मतलब ही होता है
पूरी तरह से बिखरा हुआ,
और जो बिखर जाए ,
उसका कोई वजूद नहीं होता|