रविवार, दिसंबर 26, 2010

ख़्वाब सजते हैं पलकों पर , बिखर जाते हैं

ख़्वाब  सजते हैं   पलकों पर , बिखर जाते  हैं,
हम डूबकर पलभर ही ,  इनमे निखर जाते हैं.

कह नहीं पाते अधर किस बात से सकुचाते हैं,
बस देखकर उन्हें हम, मंद मंद मुस्काते    हैं.

क्यों रोकते हैं खुशियों को ,ये कैसे अहाते हैं,
न    हम   तोड़ पाते हैं , न वो  तोड़ पाते  हैं.

उन्मुक्त हो अरमान भी शिखर चढ़ जाते हैं,
 टूट न  जाएँ  हम   ये सोंच,  सिहर  जाते हैं.

ख़्वाब   सजते हैं पलकों पर  बिखर जाते  हैं,
हम डूबकर पलभर ही, इनमे निखर जाते हैं.

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "

9 comments:

गोपाल ने कहा…

वाह वाह वाह!!!!!! क्या बात है
हम डूबकर पलभर ही ,इनमे निखर जाते हैं कंचन से !!!!!!
अति उत्तम !!!! इस बेहद शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

ख्वाब सजते हैं पलकों पर , बिखर जाते हैं,
हम डूबकर पलभर ही ,इनमे निखर जाते हैं.
बेहद शानदार ग़ज़ल.............
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Rector Kathuria ने कहा…

कह नहीं पाते अधर किस बात से सकुचाते हैं,
अपनी ख़ामोशी से वे क्यूं हमें तड़पाते हैं,
ख्वाब सजते हैं पलकों पर वे जब भी आते हैं,
जब वे जाते हैं तो फिर सारे बिखर जाते हैं

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko mera hardik aabhar .........

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय रजनी मल्होत्रा जी
नमस्कार !
...............शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

क्या बात है । रजनी जी । बहुत अच्छे
आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
नववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko bhi meri taraf se navvarsh ki hardik shubhkamnayen.......tatha aabhar

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ko bhi meri taraf se navvarsh ki hardik shubhkamnayen.......tatha aabhar