"आह अभी तू यूँ दस्तक ना दे,
दर्द अभी भरा नहीं,
छलका नहीं गम के प्यालों से,
जब वो बिखर जाये पलकों से,
आ जाना तब मेरे रुखसारों पे."
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर."
गुरुवार, सितंबर 30, 2010
आह अभी तू यूँ दस्तक ना दे
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर ( लारा ) झारखण्ड बोकारो थर्मल से । शिक्षा -इतिहास (प्रतिष्ठा)बी.ए. , संगणक विज्ञान बी.सी .ए. , हिंदी से बी.एड , हिंदी ,इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. | | राष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ | प्रथम काव्यकृति ----"स्वप्न मरते नहीं ग़ज़ल संग्रह " चाँदनी रात “ संकलन "काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन , पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा " में ग़ज़लें | हिंदी- उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।
"आह अभी तू यूँ दस्तक ना दे,
दर्द अभी भरा नहीं,
छलका नहीं गम के प्यालों से,
जब वो बिखर जाये पलकों से,
आ जाना तब मेरे रुखसारों पे."
"रजनी मल्होत्रा नैय्यर."
4 comments:
Wah... Aah ko nimantran vo bhi itne pyar se... Beautiful
Beautiful
Beautiful
aap dono ko aabhar .........
very nice ............
एक टिप्पणी भेजें