शुक्रवार, अगस्त 20, 2010

हर चाह सिसक कर तब आह बन जाती है

"बदलती है किस्मत जो रूख अपना,
हर चाह सिसक कर तब आह बन जाती है,
वफा  करके भी जब बेगैरत ज़िन्दगी से ,
ज़फ़ा की सौगात  मिल  जाती है. "