हमसफ़र को पाने के बाद मन की अभिव्यक्ति कुछ ऐसी है..
कोई तलाश नहीं बाकी,
तुझे पा लेने के बाद,
कोई आरजू नहीं बाकी,
तुझे मन में बसा लेने के बाद|
मेरी भटकती हुई राह को,
मिल गयी मंजिल ,
तुझे पा लेने के बाद|
जो खो चूका था किनारा,
वो शाहिल हो तुम,
मेरे कस्ती को मिली किनारा,
तुझे पा लेने के बाद |
कोई जुस्तजू अब क्या करें,
कोई जुस्तजू नहीं बाकी,
तुझे पा लेने के बाद|
by --- RAJNI NAYYAR MALHOTRA 9:08 PM
गुरुवार, दिसंबर 24, 2009
कोई तलाश नहीं बाकी, तुझे पा लेने के बाद,
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 24.12.09 0 comments Links to this post
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