शनिवार, दिसंबर 19, 2009

तू आईना बन गया है, मेरे रूप का,

दीवानगी भी मेरी अब,
हद पार कर गयी है,
मै इसके हर एक हद से,
गुजर रही हूँ,
तेरी एक मुस्कान के लिए,
मै पल,पल मर रही हूँ,
चैन छिन गया है दिल का मेरा,
अब तो उस टूटे हुए,
आईने की तरह बिखर रही हूँ,
सांसे रुकी पड़ी है जैसे,
बड़े उहापोह से गुजर रही हूँ,
कैसा सुकून है फिर भी,
इस तराने में,
तू आईना बन गया है,
मेरे रूप का,
तुझे देख के मैं सवंर रही हूँ,
सांसे रुकी पड़ी है जैसे,
बड़े उहापोह से गुजर रही हूँ|