चाहत अगर पूरी हो जाए,
तो चाहत ख़त्म नहीं होती,
और अगर वो ख़त्म हो जाए,
तो वो सच्चा प्रेम नहीं.
रविवार, नवंबर 29, 2009
चाहत अगर पूरी हो जाए
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.11.09 4 comments
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आसमां से गिरे कही नहीं बच पाते हैं
दिल जुड़ने न देना,
कभी किसी भी ,
हालत में,
जब टूट जाए ,
बड़ा दर्द देता है,
धड़कनों को झूठी ,
लगन ना लगे,
आसमां से गिरे,
कही नहीं बच पाते हैं.
कभी हसरतों को,
जागने ना देना,
टूट जाएँ तो ,
जीने ना देंगे ,
ये अरमा,
टूटी हुई कांच को ,
जोड़ना जैसे कठिन है,
टूटने पर,
जुडेंगे न ये अरमां.
"रजनी"
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.11.09 0 comments
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तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई
तेरी तारीफ़ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगता है जितना लिखे कोई,
ये उम्र तो कम ही लगने लगी,
सात जन्म भी कम लगे इतना लिखे कोई,
नशा में लिखू तो शराबी कहोगे,
बिन पिए ही लिखा है,
ऐसे लिखे जैसे सपना लिखे कोई,
गजल खुद ब खुद बन जाती है,
जब भी तेरा बोलना,तेरी आवाज़ लिखे कोई,
तुझमे और तेरी आवाज़ में वो जादू है,
तेरा रुकना और तेरा चलना लिखे कोई,
तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगे जितना लिखे कोई,
किसी कि गजल में वो बात नहीं,
नया क्या लिखे, जब अपना लिखे कोई,
तेरी तारीफ में कितना लिखे कोई,
कम ही लगता है जितना लिखे कोई.
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.11.09 0 comments
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उन्होंने हमसे जुदाई मांग ली
इस कदर खुश हो गए उनपर,
कि बातों बातों में हमने कह दिया,
मांगलो हमसे जो चाहो आज,
उन्होंने हमसे जुदाई मांग ली,
और हमने इकरार भर दिया,
आँखें कह रही थी कुछ और,
होंठो ने कुछ कह दिया,
रो रहे थे दोनों,जिसे उन्होंने,
मेरा हँसना समझ लिया|
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.11.09 0 comments
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मत जला चिरागों को , मुझे अँधेरे में रहने की आदत है
खीच ले क़दम धंसने से पहले,
मुझे काँटों से भी निभाने की आदत है.
छेड़ के बाम्बी को, विषधर की,
क्यों गरल की चाहत लेते हो,
जो जलकर धुआं - धुआं हो गया,
क्यों उसमें , मिटने को उद्धत होते हो,
मत जला चिराग़ों को ,
मुझे अँधेरे में रहने की आदत है|
Posted by डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) at 29.11.09 0 comments
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