देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आप सभी के ब्लॉग पर नहीं जा सकी ,काफी दिन तक ब्लॉग परिवार से दूर रही परीक्षाएं चल रही थीं .अब धीरे धीरे सबके ब्लॉग पर जाना हो पायेगा ...
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."