सोमवार, फ़रवरी 21, 2022

है लगे आज जुगनू भी महताब सा

 एक ग़ज़ल हाजिर है मित्रों 🙏😊


अश्क़ आँखें बहाती  रही    रातभर

याद   तेरी   सताती   रही   रातभर


प्यार से  लग  गले ओस कचनार के

साथ में  खिलखिलाती रही  रातभर


है  लगे आज जुगनू भी  महताब सा

ये   अमावस  बताती   रही   रातभर


चाँद को देख बदली  की आगोश में

चाँदनी  दिल जलाती   रही  रातभर


इन निगाहों से थे  ख़्वाब  रूठे   हुए

नींद उनको   मनाती    रही   रातभर            


"डॉ. रजनी मल्होत्रा नैय्यर

 बोकारो थर्मल, झारखंड