शुक्रवार, दिसंबर 31, 2021

यहाँ सर्दियों का गुलाबी है मौसम



  कहाँ रह गये हो चले आओ  हमदम

  यहाँ  सर्दियों का गुलाबी  है  मौसम


  दिसम्बर  महीना  कड़ाके   की  सर्दी

  गिरा कर के पारा दिखाती है दमख़म

    

  घने कोहरे   में  वो  सूरज   छिपा  है

  धरा पर बिछी शाख़ फूलों पे शबनम


   रजाई  के अंदर  दुबक  कर रहें  हम

   मिले गर्म  कॉफी यही चाहे   आलम


   हवाएँ ये ठंडी  लगें जब भी तन  को     

   ये नश्तर सी चुभती करें साँसें  बेदम

   


   "डॉ" रजनी मल्होत्रा नैय्यर

       बोकारो थर्मल