मंगलवार, सितंबर 14, 2021

कुछ शेर


अक्स अपना देखने को चाँद जब बेताब  था

आइना बन आ गया दरिया तब उसके  सामने

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आज यादों के दरीचे को खुला रहने दिया 

 साथ बीते पल सुहाने  चलचित्र से आ गए

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मुहब्बत के लिए मख़्सूस है बारिश का मौसम ही

सजन आजा चला  जाए न ये बरसात का  मौसम

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नचाती है सभी को ज़िंदगी ये

तमाशाई  बने  सब  देखते   हैं

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तू दे कभी  गुलाब मुझे इंतज़ार  है

इज़हार मैं करूँगी तुझे इंतज़ार 


"डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर"

  बोकारो थर्मल झारखंड 




3 comments:

yashoda Agrawal ने कहा…

मूल पोसेट दिखाएँ
सादर

मन की वीणा ने कहा…

उम्दा!

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

यशोदा अग्रवाल जी क्या कहना चाह रहीं
नहीं समझ आ रहा मुझे।