रविवार, सितंबर 26, 2021

आज बेटी दिवस पर संसार की सभी बेटियों को मैं अपना ये गीत समर्पित करती हूँ


ज़मज़म के पानी सी पावन,गंगाजल सी निर्मल  है

ख़ुशियों का सागर है बेटी , बेटी  है तो  ही कल  है 


बिन इसके जीवन   सूना, जैसे  ग़मों का  क्रंदन  है

ये है दिल की धड़कन सी ,जैसे साँसों का स्पंदन है

रिश्तों की मीनारें  इनसे ये झरनों की कल-कल  है

ख़ुशियों का सागर  है बेटी, बेटी  है तो ही  कल  है


ईश का दिया वरदान है बेटी,अधरों की मुस्कान है

महादान का पुण्य दिला दे,ये वो अमोघ सामान है

तपती धरा में शीतल छाया मरुभूमि में ये  जल  है

ख़ुशियों का  सागर है  बेटी, बेटी है तो  ही कल है


इसकी साँसों की माला पर इसका ही अधिकार है

ये मानव की जननी , इससे  मानव का  विस्तार है

करुणा,स्नेह,त्याग से भरकर मन बेटी का निश्छल है

ख़ुशियों का सागर  है  बेटी, बेटी  है तो  ही कल  है


जिसे भूलना आसान नहीं, उसी बात का संज्ञान नहीं

पूजी जाती थी नारी यहाँ, पर अब वो हिंदुस्तान नहीं

कंटक, खार भरा बेटी  के जीवन का अब हर  पल है

ख़ुशियों का सागर  है बेटी , बेटी  है तो  ही  कल  है


डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर

बोकारो थर्मल (झारखंड)

मंगलवार, सितंबर 14, 2021

कुछ शेर


अक्स अपना देखने को चाँद जब बेताब  था

आइना बन आ गया दरिया तब उसके  सामने

*****************************

आज यादों के दरीचे को खुला रहने दिया 

 साथ बीते पल सुहाने  चलचित्र से आ गए

*****************************

मुहब्बत के लिए मख़्सूस है बारिश का मौसम ही

सजन आजा चला  जाए न ये बरसात का  मौसम

********************************

नचाती है सभी को ज़िंदगी ये

तमाशाई  बने  सब  देखते   हैं

*************************

तू दे कभी  गुलाब मुझे इंतज़ार  है

इज़हार मैं करूँगी तुझे इंतज़ार 


"डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर"

  बोकारो थर्मल झारखंड 




एक क़ता हिंदी दिवस पर...

 


लेखनी का गान  हिंदी

आपकी पहचान हिंदी

चेतना औ ज्ञान  इससे

वाणी का वरदान हिंदी

"रजनी"