रविवार, अगस्त 29, 2021

ग़ज़ल

 ख़ुशियों के  साथ  मेरा  आशियाना हो  गया

 दर्द दरिया बन बहा औ मुस्कुराना हो  गया


 रास अब  आने लगा  है  साथ होना  आपका

 आप  नज़राना मिले  दिल शायराना हो  गया 


छल रहा था ये जहाँ मुझको परख  के नाम पर   

की पलट कर वार तो  दुश्मन ज़माना  हो  गया 


 ज़िंदगी  तेरी     कसौटी अब  नहीं   मंजूर   है  

 ज़िंदगी कह दे  मुझे  अब  आज़माना हो  गया 


मत दुहाई   दो  किसी   को  साथ  के   नाम  पर

साथ रह कर जब  कठिन रिश्ता निभाना हो गया  


"रजनी मल्होत्रा नैय्यर 

बोकारो थर्मल (झारखंड)

सोमवार, अगस्त 09, 2021

राम वन गमन





दशरथ के घर पुत्र रूप में जन्म लिए थे रघुवर जी

एक घड़ी फिर ऐसी आई हुए राम जी  वनवासी


अवधपुरी में सभी ओर बस राम राज की थी चर्चा

किया मंथरा की बातों ने मन भारी कैकेई का

 कोपभवन में हारे राजा और हुईं विजयी रानी

 एक घड़ी फिर ऐसी आई  हुए राम जी वनवासी




पुत्र धर्म का पालन करने चले राम जी वन में रहने

और संग में पत्नी सीता साथ अनुज लक्ष्मण भी चले

मात-पिता गुरु और महल सँग छोड़ी अपनी नगरी 

एक घड़ी फिर ऐसी आई  हुए राम जी वनवासी




हाथ जोड़कर जन-जन करते श्रीराम जी का वंदन 

मत जाओ वन मत जाओ वन मत जाओ हे रघुनन्दन 

चौदह वर्ष नयन तरसेंगे प्रभु दरस के  अभिलाषी 

एक घड़ी फिर ऐसी आई  हुए राम जी  वनवासी



 क्या अंतर नारायण नर में नियति बड़ी दुखदायी है

 भटक रहे वन-वन भाई द्वय दशा दुखी रघुवर की है

 सभी राजसी भोग छोड़कर रीति संत की अपनायी

 एक घड़ी  फिर  ऐसी आई  हुए राम जी  वनवासी



लंकापति ने रची योजना हरण सिया का करने की 

और लक्ष्मण की रेखा से बाहर निकलीं सीता जी 

लंकापति ले उनको भागा विकल हुए जग के स्वामी

एक घड़ी  फिर ऐसी आई  हुए राम जी  वनवासी



 राम लखन जब सिया खोज में किष्किंधा तक आ पहुँचे

महाबली बजरंगबली अपने प्रभु से तब वहाँ मिले

मूर्छित हुए लखन जब युद्ध में तो घबराए अवतारी

एक घड़ी  फिर ऐसी आई  हुए राम जी  वनवासी




रावण का वध किये रामजी हुआ युद्ध भीषण भारी

राम लौटकर वापस आए हर्षित  हुए अवध  वासी

जगमग-जगमग  दीपों से तब हुई अवध की गली गली

एक घड़ी  फिर ऐसी आई  हुए राम जी  वनवासी


"रजनी मल्होत्रा नैय्यर

बोकारो थर्मल झारखंड