शनिवार, अप्रैल 11, 2020

मुक्तक

बदले कितने व्यवहार इस तालाबंदी से
जुड़ गए दिलों के तार इस तालाबंदी से
गृहस्थी की गाड़ी भी पटरी पर चल रही
पर कुछ भ्रम भी टूटेंगे इस तालाबंदी से

"लारा",

7 comments:

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

इसे तालाबंदी ही कहेंगे क्या ? अच्छा लिखा है ।

अजय कुमार झा ने कहा…

देखें यह तालाबंदी या देश मंदी जो भी कहें हमें अभी और क्या क्या दिखाती सुनाती है सबसे अच्छा हो कि इसके बाद जो भी समय आएगा वह सब के लिए सुखद होगा शुक्रिया और आभार आपका इतनी सरलता से इतनी सुंदर बात कह जाने के लिए

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

🙏 प्रणाम दीदी , जी दीदी और क्या कहें इसे । जो भी हो
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद परिवार को एकसूत्र में बांधने का काम किया किया है इस लॉक डाउन ने

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

अजय जी धन्यवाद ।
देश के साथ सभी चलें अभी तो यही समझदारी की बात
है हमसभी के लिए।

सदा ने कहा…

कुछ भ्रम निश्चित ही टूटेंगे ... बहुत ही बढ़िया लिखा।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुन्दर ...
बहुत भ्रम टूटेंगे !

Pallavi saxena ने कहा…

आज ताला बंदी ही जीवन बचा रही है सुंदर रचना।