मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010

जब , खुशियाँ आती है, तो सौ रंग चढ़ जाते हैं

बहुत ही उत्कंठित होकर
स्वागत किया था
मैंने |
दर्द के पहले क़दम  का
ख़ुशियों  के रूप में,
जब पहली दस्तक
दिया था उसने
तुम्हारे रूप में |
मेरे  जीवन में ,
प्रवेश हुआ
जब धीरे धीरे वो 
मेरे अंतर्मन में ,
अपना
आधिपत्य जमाने  लगा |
जब  यक़ीन  हो गया उसे
मेरे रग रग में वो
समा चुका है,
फिर धीरे से उसने
अपना रंग दिखा दिया
क्योंकि जब ,
खुशियाँ आती है
 सौ रंग चढ़ जाते हैं |
पर जाती है तो
दे जाती है ,बस
विरानियाँ ,बेचैनियाँ
और ,
जीवन भर के लिए
एक ख़ालीपन|
जिसके भराव के लिए
कुछ भी ,
पूरा नहीं मिलता | 

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "

जानते हैं हम तन्हा हो जायेंगे

हाथ रख कर वो दुखते  रगों में मेरी,
बातों के तीर जिगर में चुभा देते हैं,
जानते हैं हम तन्हा हो जायेंगे,
क्यों गिन कर रुखसती के दिन बता देते हैं.

"रजनी मल्होत्रा नैय्यर "