मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुमे हो जायेगा,
दीवारों से टकराओगे जब इश्क तुमे हो जायेगा ,
हर बात गवारा करलोगे मन्नत भी माँगा करलोगे,
ताबिजें भी बंध्वाओगे जब इश्क तुमे हो जायेगा,
तन्हाई के झूले झूलोगे और बात पुरानी भूलोगे
आईने से घबराओगे जब इश्क तुमे हो जायेगा,
जब सूरज भी खो जायेगा और चाँद कहीं सो जायेगा,
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क तुमे हो जायेगा,
जब बेचैनी बढ़ जाएगी और याद किसी की आएगी ,
तुम मेरी ग़ज़लें गाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा.
किसी ने बहुत अच्छा लिखा है इश्क का पहला पहलू दूसरा पहलू मै देने की कोशिश कर रही उपरोक्त ग़ज़ल किसी के द्वारा मुझे मिला है जिसे मै अपने कुछ और सब्दों से सजा रही.......
कुछ पंक्तियाँ मेरो ओर से....
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
बैठे तन्हा मुस्काओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
जगकर सपने बुनोगे हर गम को भूलोगे,
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
बिन श्रृंगार सज जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
बेचैनी भूल जाओगे जब एक चाँद सा चेहरा मुस्काएगा,
पतझड़ को भी सावन पाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
भूख नींद भूल जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा,
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क तुम्हें हो जायेगा.
"रजनी"