ख़्वाब सजते हैं पलकों पर , बिखर जाते हैं,
हम डूबकर पलभर ही , इनमे निखर जाते हैं.
कह नहीं पाते अधर किस बात से सकुचाते हैं,
बस देखकर उन्हें हम, मंद मंद मुस्काते हैं.
क्यों रोकते हैं खुशियों को ,ये कैसे अहाते हैं,
न हम तोड़ पाते हैं , न वो तोड़ पाते हैं.
उन्मुक्त हो अरमान भी शिखर चढ़ जाते हैं,
टूट न जाएँ हम ये सोंच, सिहर जाते हैं.
ख़्वाब सजते हैं पलकों पर बिखर जाते हैं,
हम डूबकर पलभर ही, इनमे निखर जाते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
हम डूबकर पलभर ही , इनमे निखर जाते हैं.
कह नहीं पाते अधर किस बात से सकुचाते हैं,
बस देखकर उन्हें हम, मंद मंद मुस्काते हैं.
क्यों रोकते हैं खुशियों को ,ये कैसे अहाते हैं,
न हम तोड़ पाते हैं , न वो तोड़ पाते हैं.
उन्मुक्त हो अरमान भी शिखर चढ़ जाते हैं,
टूट न जाएँ हम ये सोंच, सिहर जाते हैं.
ख़्वाब सजते हैं पलकों पर बिखर जाते हैं,
हम डूबकर पलभर ही, इनमे निखर जाते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा "
9 comments:
वाह वाह वाह!!!!!! क्या बात है
हम डूबकर पलभर ही ,इनमे निखर जाते हैं कंचन से !!!!!!
अति उत्तम !!!! इस बेहद शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई
ख्वाब सजते हैं पलकों पर , बिखर जाते हैं,
हम डूबकर पलभर ही ,इनमे निखर जाते हैं.
बेहद शानदार ग़ज़ल.............
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
कह नहीं पाते अधर किस बात से सकुचाते हैं,
अपनी ख़ामोशी से वे क्यूं हमें तड़पाते हैं,
ख्वाब सजते हैं पलकों पर वे जब भी आते हैं,
जब वे जाते हैं तो फिर सारे बिखर जाते हैं
aap sabhi ko mera hardik aabhar .........
आदरणीय रजनी मल्होत्रा जी
नमस्कार !
...............शानदार ग़ज़ल के लिए बधाई
आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......
क्या बात है । रजनी जी । बहुत अच्छे
आपके जीवन में बारबार खुशियों का भानु उदय हो ।
नववर्ष 2011 बन्धुवर, ऐसा मंगलमय हो ।
very very happy NEW YEAR 2011
आपको नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें |
satguru-satykikhoj.blogspot.com
aap sabhi ko bhi meri taraf se navvarsh ki hardik shubhkamnayen.......tatha aabhar
aap sabhi ko bhi meri taraf se navvarsh ki hardik shubhkamnayen.......tatha aabhar
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