ek urdu shayri zindaki ke bare me
रु-ये -ज़िन्दगी उतनी हँसीं नहीं, मालूम तब होता है जब दर्स दे जाती है,
दौरे-अय्याम जब सरशारी-ये -मंजिल से पहले नामुरादी जबीं पे सिकन लाती हैं.
रु-ये -ज़िन्दगी --- ज़िन्दगी का चेहरा
दर्स -- सबक
दौरे-अय्याम --समय का फेर
सरशारी-ये -मंजिल -- मंजिल की पहुँच
नामुरादी ------ असफलता
जबीं पे -- माथे पे
शुक्रवार, अगस्त 20, 2010
रु-ये -ज़िन्दगी उतनी हँसीं नहीं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 comments:
itni gambhir baaten........uff!! kahan se itna soch laate ho...:)
bas kuchh shbdo ka jaal tha use hi bicha di maine .
एक टिप्पणी भेजें