मंगलवार, जुलाई 06, 2010

जब भी , हँसने की , तैयारी की मैंने,

इस (दुनिया के )रंग मंच पर ,
उपरवाले को ,
मेरा ही  किरदार,
क्यों भाया , 
जब भी ,
हँसने की ,
तैयारी की मैंने,
उसने,
 रोने का,
 किरदार ,
थमा दिया .

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

2 comments:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहतरीन
बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

प्रणाम स्वीकार करें

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

sanjay ji aap aaye dhnyvaad ,aapko bhi mera hardik pranam .......