मंगलवार, दिसंबर 15, 2009

यूँ किस्त दर किस्त ना मार दे

KUCHH SHER MERI CREATION KE........
दरिया भरा है सामने पानी से,
पर दिल बेताब है,
तेरे आँखों के सागर में डूब जाने के लिए|
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सागर में रहने का डर हमें नहीं,
कस्ती लिए फिरते हैं हम तो,
तूफ़ान के इंतज़ार में|
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क्या खूब मिला है सिला इंतज़ार का,
वो आते हैं हमसे मिलने,
मेरे जाने के बाद|
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जब हम नहीं होते हैं,वो चाँद मुस्कुराता है,
हमारे आते ही सामने,
बादल की आगोश में छूप जाता है|
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बहुत जी लिया तेरे शर्तो पर,
अब तो ये क़र्ज़ तू उतार दे,
दे दे सजा कोई ऐसी,
यूँ किस्त दर किस्त ना मार दे|
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BY------ RAJNI NAYYAR MALHOTRA 9:18PM

4 comments:

जोगी ने कहा…

waah...beautiful written...saying a lot of things in just few lines .

amrendra "amar" ने कहा…

दरिया भरा है सामने पानी से,
पर दिल बेताब है,
तेरे आँखों के सागर में डूब जाने के लिए|


rajni ji is post ke liye bahut bahut thanx ....padh ke aisa laga ki jaise mai apni aapbeeti likh raha hoon .bahut hi sunder................thanx

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

jogi ji sukriya aapka...............

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

amrendra ji kisi ki geet hi kisi ke aawaz bante hai.............. sukriya rachna pasand aayi..aapko..........