शनिवार, दिसंबर 05, 2009

ओ चैन लूटने वाले, मुझे थोड़ा तो करार दे|

जब इंतज़ार हद से गुज़र जाए तो कुछ इस तरह मन की भावनाएं होती हैं.......

ओ चैन लूटने वाले,
मुझे थोड़ा तो करार दे,

दे दे हाथों से अपने,
थोड़ा सा ज़हर,

यूँ तो हमें,
इंतज़ार के,
अग्न में जलाकर,
बेमौत ना मार दे,

हम तो हो गए बस,
यूँ ही कायल तुम्हारे,

नाम तुम्हारा आता है,
खुदा से पहले, होठों पे हमारे ,
जितने भी तेरे पास हैं,
तीर कमान में,
वो सारे,
मेरे जिगर में उतार दे,

उफ़ ना निकले,
होठों से हमारे,

बस इस अग्न से मुझे,
एक बार तो उबार दे,

यूँ तो हमें ,
इंतज़ार के,
अग्न में,जलाकर,
बेमौत ना मार दे,

कौन सी ,
खता है हमारी,
बस,
एक बार तो ,
इजहार दे,

हुक्म तेरा ,
मेरे सर आँखों पर,
क़दमों में तेरे,
मेरी जान वार दे,

ओ चैन लूटने वाले,
मुझे थोड़ा तो करार दे,

खो गया है चैन मेरा,
ज़िन्दगी बेहाल है,

कोई तो मुझे ,
ज़िन्दगी अपनी,
दो चार दिन को,
उधार दे,

ओ चैन लूटने वाले,
मुझे थोड़ा तो करार दे.

"रजनी"