रविवार, मई 03, 2020

ग़ज़ल

देख लहरों को डर गए  कुछ लोग
नाव से ही  उतर  गए  कुछ   लोग

करके    क़ुर्बान    ज़िंदगी   अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग

हर सितम सह   रहे   यहाँ   जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग

सोच   कर    राह     की    परेशानी
राह में  ही    ठहर गए   कुछ   लोग

जो  खड़े    सर पे  हैं  कफ़न   बाँधे
साथ उनके उधर    गए  कुछ  लोग

दाग  लगने  न   दी  अना   पर  जो
आग पर से भी गुजर गए कुछ लोग

"लारा "