शुक्रवार, मई 15, 2020

ऐसे तो हर एक जंग में होती है शह और मात

ऐसे तो हर एक जंग में होती है शह और मात
हमें अब  जीना होगा   इस  कोरोना के  साथ

हाथ मिलाना छोड़कर दोनों हाथों को जोड़िये
अपने संस्कार यही   हैं अपवादों   को  तोड़िये
मास्क लगा कर दूर से करें सब आपस में बात
हमें अब  जीना  होगा  इस  कोरोना  के  साथ

लौट कर  सब वापस सनातन संस्कृति में आईये
फ़ास्ट फूड को छोड़ हमेशा देशी  व्यंजन खाईये
अदरक हल्दी गिलोय और ले तुलसी  का  साथ
हमें अब  जीना   होगा   इस  कोरोना  के  साथ
"लारा"

शनिवार, मई 09, 2020

मातृ दिवस की बधाई संसार की सभी माताओं को

माँ की ममता किसी ख़ास पल की मोहताज नहीं फिर भी
मातृ दिवस की बधाई संसार की सभी माताओं को

आह दर्द और बेचैनियों को पहचान लेती है
 वो बिन बोले ही   सारी  बातें  जान लेती  है
 माँ का राब्ता बच्चों  संग  दिल-ओ-जान  से
 गुज़र जाती है  हद्द से जब  वो ठान लेती  है

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स्नेह का पिटारा हो, रोज खुल जाती हो, लगती हो त्यौहार माँ
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"जब भी मचलता  है मेरे  अंदर      का    बचपन,
पास तेरे आकर  माँ  लिपट जाता है मेरा  बचपन "


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चूम लिया माँ ने लगाकर गले से हर बला मेरे सर से टल गई
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तेरे हुनर के क़द सा कुछ भी नहीं ,तुझ पर लिखूँ भी तो क्या लिखूँ  माँ ( 😊 अपनी माँ समर्पित  )

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सफ़र में माँ की दुआओं का सर पे साया है हर एक बला से मुसीबत से बचा लेगा
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"लारा"

बुधवार, मई 06, 2020

जब ज़िंदगी मुख़्तसर है


जब ज़िंदगी मुख़्तसर है दुआएँ भी क्या करें  
आधी मनाने में निकले आधी  आज़माने  में
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ओढ़ रखी  हैं जो उदासियों  ने  चादर 
 मुस्कुराहटें कह रही फेंक दे उतार  के
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फेंक कर सिक्के कभी दी गईं किसी मजबूर को
उसकी दुआएँ भी कभी लग जाती है  इंसान को

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ऐसे रीझ पड़ी मुझपर अँधेरी    बस्तियाँ
जैसे  कोई जगमगाता सूरज मेरे पास हो 
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ज़िंदगी तेरा हर फ़ैसला मंज़ूर है
बस वक़्त को मेरे हक़ में कर  दे 
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बेबसी  बेक़सी    दर्द  चैन    ख़ुशी
ज़िंदगी  बता क्या क्या तेरे नाम हैं
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प्रफुल्लित  है सृष्टि सारी  झूम रहे धरती अम्बर 
बस रोक लग गयी भागते मानव की  रफ़्तार  को 
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बढ़ जाता है सौन्दर्य सँवरने से 
श्रृंगार   हुस्न  का  मददगार  है

"लारा"




रविवार, मई 03, 2020

ग़ज़ल

देख लहरों को डर गए  कुछ लोग
नाव से ही  उतर  गए  कुछ   लोग

करके    क़ुर्बान    ज़िंदगी   अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग

हर सितम सह   रहे   यहाँ   जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग

सोच   कर    राह     की    परेशानी
राह में  ही    ठहर गए   कुछ   लोग

जो  खड़े    सर पे  हैं  कफ़न   बाँधे
साथ उनके उधर    गए  कुछ  लोग

दाग  लगने  न   दी  अना   पर  जो
आग पर से भी गुजर गए कुछ लोग

"लारा "