गुरुवार, अप्रैल 30, 2020

ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी

कभी गुल कभी ख़ार है ज़िंदगी
कभी जीत कभी हार है ज़िंदगी
जब चाहे वो हमसे वापस ले ले
 ख़ुदा से ली हुई उधार है ज़िदगी
"लारा"

6 comments:

Jyoti Singh ने कहा…

बहुत खूब

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बढ़िया मुक्तक

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ख़ूब ... ऊपर वाले का उपहार है ये ज़िंदगी ...

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

आप सभी सुधीजनों को बहुत बहुत आभार 🙏

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के करीब लाती है ज़िन्दगी,
कभी हँसाती कभी जार-जार रुलाती है ज़िन्दगी.

संगीता पुरी ने कहा…

वाह सुन्दर !