बुधवार, जुलाई 04, 2012

बाद मरने के भी "रजनी" लोग याद करें

ग़मगीन बेसहारों के घर को आबाद करें,
कुछ पल ही सही यतीमों को शाद करें |


ता -दम -ए ज़ीस्त नेकी में बर्बाद करें ,
शायिस्तगी हो सब में फरियाद करें |

बन कर शब माह तारीकी को बर्बाद करें,
सहराई को गुलशन सा आबाद करें|

दर्दमंदों के खिदमत में आगे हाथ करें,
बाद मरने के भी "रजनी" लोग याद करें |

"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"

8 comments:

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति |
शुभकामनायें ||

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut behtreen:)

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

Ravikar ji........

Mukesh ji.........hardik aabhar .....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना!
शेअर करने के लिए आभार!

कविता रावत ने कहा…

सच कहा आपने अपने जाने के बाद यदि कुछ परोपकारी काम किया हो तो वही याद रखा जाता है ..
बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति

महेश सोनी ने कहा…

ग़मगीन बेसहारों के घर को आबाद करें,
कुछ पल ही सही यतीमों को शाद करें |

बहुत खूब ममता भाव प्रस्तुत किया है उपरोक्त शेर में। यूँ तो पूरी ग़ज़ल अच्छी है पर ये शेर सब से ज्यादा स्पर्श कर गया।

neelima garg ने कहा…

Why ? your poem is so full of life..

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap sabhi ki aabhari hun,par bimar hone ke karan kayi dino k baad aaj blog par aaayi hun.........