देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आप सभी के ब्लॉग पर नहीं जा सकी ,काफी दिन तक ब्लॉग परिवार से दूर रही परीक्षाएं चल रही थीं .अब धीरे धीरे सबके ब्लॉग पर जाना हो पायेगा ...
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."
कर्तव्यों की डोर से बंधी सांसें,
हर पल धड़कती हैं ,
धड़कनों पर बंदिश नहीं
इंसान का,
समय चक्र के सुइयों के साथ,
वो बंधी है,
क़दम भागते,दौड़ते,
हाथ भी मशीनों से,
हर पल देते हैं धड़कन का साथ,
क्योंकि,
कर्तव्यों के बोझ तले,
दोनों ही गिरवी हैं ,
चाहे वो जिस्म हो या धड़कन.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा."
18 comments:
वाह ..बहुत बड़ी बात कह गयी आपकी यह छोटी से बात ... बहुत खूब..
कर्त्तव्यों का बोझ ही ऐसा होता है...
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति हुई हैँ। ....आभार रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी
aap sabhi ko mera hardik aabhar dr. nutan ji......
veena ji ....
madan ji .....
aap sabhi k sneh manobal ko badhate hain......
मन के एहसासोँ की अच्छी अभिव्यक्ति|
कर्तव्य तो निभाना ही पड़ता है.बढ़िया कविता है.
लीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
मैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.
bahur bahut sukriya ..........aap sabhi ka sneh yun hi milta rahe.......
कर्त्तव्यों के प्रति अच्छी अभिव्यक्ति ....अच्छी कविता...
हार्दिक शुभकामनायें।
कर्तव्यों के प्रति वफ़ादारी नजर आ रही खुबसूरत अहसास.....
सुन्दर भाव भरी रचना.
इन सांसों का जिन्दगी से रिश्ता है
वही निभा रहा हूं इसे जी कर के
sabhi ne sub kuch kah diya mere liye words nahi hai..... .
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
achhi abhivyakti...aur achhi rachna..
sunder abhivyakti
एक टिप्पणी भेजें