मंगलवार, मई 18, 2010

पत्थर समझता रहा

पत्थर समझता रहा मुझे,
आजतक शायद ,
तभी तो,
मेरे टूटने पर,
छू कर देखता रहा.

10 comments:

अरुणेश मिश्र ने कहा…

अति प्रशंसनीय ।

अरुणेश मिश्र ने कहा…

अति प्रशंसनीय ।

Mithilesh dubey ने कहा…

दिल से निकली सच्ची आवाज लगी ।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

itni gahri soch.......:)

kunwarji's ने कहा…

waah!kya baat hai ji...

kunwar ji,

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aabhar aap sabka.

Arpit Shrivastava ने कहा…

bahut Khoob

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Kya baat hai!
Behad umda....

RAJWANT RAJ ने कहा…

gagr me sagr .
bdhai

संजय भास्‍कर ने कहा…

दिल से निकली सच्ची आवाज लगी ।