सोमवार, मई 10, 2010

फिर कैसे हँसकर, मिलन हो तुझसे

"ज़िन्दगी ,
तुझे,
मेरी खुशियाँ रास नहीं,
और,
मुझे समझौता ,
बता,
फिर कैसे हँसकर,
मिलन हो तुझसे "

Rajni Nayyar Malhotra.

13 comments:

neelima garg ने कहा…

interesting poem...

संजय भास्‍कर ने कहा…

मन की पवित्रता का परिचय देती सुंदर कविता

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही उम्दा व दिल को छू लेनी वाली रचना लगी ।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

aap dono ko mera hardik naman

राजकुमार सोनी ने कहा…

वैसे पता नहीं कि आपने यह रचना किस दशा में लिखी है लेकिन मुझे लगता है कि खुशी तो बगैर समझौते के ही ठीक ढंग से मिलती है। फिर भी रचना बेहतर है। मैं इस बात के लिए परेशान हूं कि वाकई दुनिया में हर कोई कितना परेशान है।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

राजकुमार सोनी जी मेरे रचना का अभिप्राय .......

"ज़िन्दगी ,
तुझे, मेरी खुशियाँ रास नहीं,
और,
मुझे समझौता ,
बता,
फि,
र कैसे हँसकर,
मिलन हो तुझसे "

सीधी सी बात है,दुनिया में हर कोई सभी चीजों को नहीं पाता,जिसकी वो कामना रखता है,
और जो कोई स्वाभिमानी हो जिसे हर बार तकदीर से समझौता करना मंजूर नहीं तो उसके मन में आये भाव जरुर मेरी रचना से मेल करते होंगे, ज़िन्दगी और खुशियाँ दोनों के बीच ये विचार मतभेदी हैं कि इन्सान को अपनी मन चाही हर ख़ुशी नहीं मिलती कहीं ना कहीं उसे समझौता करना ही पड़ता है.जो नहीं समझौता करते वो इस बात से उलझे ये कहते हैं ,जो मैंने रचना में लिखा है. आशा है अब ये बात आसानी से समझ आ जाएगी रचना का अभिप्राय .

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत अच्छी कविता आपके विचारों को प्रस्तुत करती हुयी।
शायद मै आपके ब्लाग पर पहली बार आया।

काव्यं करोति कविनाम् अर्थ जानति पंडिता।
कवि अपनी कविता को किन मनोभावों के साथ रचता है
यह केवल कवि ही जानता है लेकिन लोग उसका अर्थ जानने के लिए स्वविवेक का उपयोग करते हैं।
एक शब्द के अनेकार्थ होने के कारण कभी कभी उसके मूल अर्थ भी बदल जाते हैं।

मेरे मन में उपरोक्त वि्चार आपकी और राजकुमार जी के टिप्पणी संवाद को देखकर आए।

आभार

Unknown ने कहा…

so nice of you

राजकुमार सोनी ने कहा…

यदि मेरी टिप्पणी से आपको कष्ट पहुंचा हो तो आपसे क्षमा चाहता हूं। आपकी टिप्पणी के बाद चीजें साफ हो गई है।

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

राजकुमार जी इसमें क्षमा वाली कोई बात नहीं लेख के अभिव्यक्ति को यदि लेखक पाठक को ना समझा पाए तो इसमें लेख की त्रुटि है ना की पाठक की. मेरे ब्लॉग पर आये आभार .

बेनामी ने कहा…

क्या बात कही है आपने - शब्द और भाव हर मायने में प्रशंसनीय बहुत खूब

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

rakesh ji is prshnsa ke liye aabhari hun, sneh milta rahe.

amrendra "amar" ने कहा…

hamesha ki tareh dil ko chu gayi..........