शनिवार, नवंबर 28, 2009

जा तो रही थी बारात किसी की, पर मुझे वो मेरी अर्थी लगी.

दिल में उदासी ,
ऐसी छाई कि,
सारा जमाना ही .
हमे उदास लगा,
सूरज आसमा पे,
चढा था पर,
हमे बादलों का ,
समां दिखा,
गुलाब पड़े थे सामने,
पर हमे तो,
वो सिर्फ,
कांटें ही लगे,
बात हंसी कि थी,
सब हँसे,
 हम ऐसे में रो पड़े,
जा तो रही थी,
बारात किसी की,
पर मुझे  वो,
मेरी अर्थी लगी.